Wednesday, October 28, 2015

Testimonials

Dr. shruti  Lecturer Delhi University  ..9810858380 
। आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व जब मैंे ड.।. म्बवदवउपबे कर रही थी तब मेरे चिंतित माता-पिता ने अपनी मान्यताओं को एक तरफ रख मेरे विवाह के लिये सुभाष जी से परामर्श लिया। उनके सरल ज्योतिष उपायों के अनुसार- मैंने माता पार्वती की साधना की तथा अपना मनपसंद जीवन साथी पाया। सुखी प्रसव साधना से मेरी लड़की व लड़के का जन्म बहुत ही आराम से हो गया तथा पारिवारिक जीवन व पीजीटी टीचर की नौकरी करते हुए, मुश्किलों के बाद भी उनके मानसिक सहयोग तथा सरस्वती साधना से मैं अपनी पी.एच.डी. करने में सफल रही। अब दिल्ली विश्वविद्यालय में लैक्चरार हूँ, सुभाष जी की विशेषता यह है कि वे अत्यंत साधारण व सरल उपाय बताते हैं, उन्होंनें मेरी उप्लब्धियों में एक बहुत बड़ा रोल है।
राजीव कुमार गोविल M.Tech U.P Govt.अलीगढ 09454456119 
मैं ज्योतिष पर बिलकुल भी विश्वास नहीं करता था लेकिन जब सुभाष जी ने मेरी पूर्व जीवन की घटनाओं के बारे में काफी सही बातें बताई तब मेरा अविश्वास विश्वास में बदल गया। तब उन्होने सरलता से उत्तर दिया कि ये मेरी नहीं भारतीय ज्योतिष शास्त्र की महानता है। उसके बाद से लगातार उनके बताये उपायों सेें अपनी मानसिक व सामाजिक समस्योें का समाधान कर काफी राहत महसूस करता हूँ। 

प्रकाशित पुस्तिकायें

प्रकाशित पुस्तिकायें
-महालक्ष्मी पर्व दिवाली, नवरात्र व श्राद्ध- 
इन महा लोक पर्वों, व्रतांे का वैज्ञानिक विवेचन  


ज्योतिष वास्तु -शास्त्रीय व वैज्ञानिक विवेचन
नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय आदि की उदाहरण कंुडलियों सहित-
कर्म और पुनर्जन्म का सम्बन्ध, ज्योतिष, वास्तु,  अंक ज्योतिष, 16 संस्कारों का प्राकृतिक, शास्त्रीय, व वैज्ञानिक विवेचना और उसके बारे में प्रचलित भ्रान्तियाँ दूर करने की कोशिश गया है। जिससे हमारा श्रद्धा व विश्वास सुदृढ़ व सफल हों।

आंधी और अंगारे 
अटल बिहारीय बाजपेयी, डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज सुभाष गर्ग की 1975 की तानाशाही के विरुद्ध  जेल में लिखी गई  कविताओं का सग्रंह
अटल बिहारीय बाजपेयी, डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज सुभाष गर्ग  लिखी गई  कविताओं का सग्रंह  

Soobhash Garg Parichay

सुभाष गर्ग  M.A  ज्योतिष वास्तु सलाहकार
परिचय 

यह एक देवयोग था या एक संयोग कि आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व जिज्ञासा वश अचानक हस्तरेखा की एक पुरानी पुस्तक मैंने खरीद ली। तभी से हस्तरेखा-ज्योतिष मेरा एक शौक बन गया। शुरू में मित्रों, सम्बन्धियों के हाथ देखने शुरू किये तथा वे मेरे विश्लेषण का अनुमोदन करते रहे। तब मैें विषय का और गहराई से अध्ययन करने लगा।

1975 में 18 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में तानाशाही एमर्जेन्सी के विरुद्ध  सत्याग्रह करके स्वयं आगे बढ़ कर गिरफ्तारी दी। जमांनत पर रिहा होने के कारण पुन 15 दिन बाद सत्याग्रह करकेगिरफ्तारी दी। 1976  में  तीसरी बार डप्ै।  में गिरफ्तार  किया गया तथा जेल में 11 महीने हमारे जैसे हजारों कार्यकर्ताओं  को देश के बड़े नेताओं सुन्दर सिंह भंडारी, हंसराज गुप्त, मदनलाल खुराना, रजत शर्मा, अरुण जाटली  डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज के  मार्गदर्शन का अवसर मिला ।
जेल में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का गीता भाष्य अध्ययन, ज्योतिष अध्ययन व कुछ देश भक्ति की कवितायेँ लिखीं ।1977  में जेल से रिहा होने बाद अटल बिहारीय बाजपेयी, डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज के साथ मेरी कुछ कविता संग्रह आंधी और अंगारे प्रकशित हुआ ।
1977 में जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में अटलबिहारीय बाजपेयी के नई दिल्ली लोक सभा चुनाव छेत्र में कार्य किया
1977 - 1980 के मध्य आकाशवाणी पर ज्योतिष विषय पर प्रसारित मेरे कार्यक्रमों ने मेरा उत्साह और भी बढ़ाया।
1972 से मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता रहा, लेकिन ज्योतिष और सामाजिक कार्य में मुझे कोई अंतर नहीं महसूस हुआ क्योंकि दोनों का उद्द्देश्य व्यक्ति व समाज का विकास है, तभी से हस्त रेखा, अंक ज्योतिष, ज्योतिष व वास्तुशास्त्र की पुस्तकों का अध्ययन, अनुभव तथा सबकी जिज्ञासा, शंका व समस्याओं का समाधान का क्रम निरंतर चल रहा है। 1980 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.ए. इंग्लिश शिक्षा पूर्ण करने के बाद, व्यावसायिक व पारिवारिक जीवन के साथ भारतीय ज्योतिष की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास जारी है।

Saturday, June 20, 2015

 विधि विशेष दीपावली लक्ष्मी पूजन 
हवन करना दिवाली जैसे अति व्यस्त पर्व पर अति कठिन है इसीलिये इस तंत्र पर्व की रात्रि में श्री यन्त्र, कुबेर, कनकधारा, व व्यापार वृद्धि यंत्रों के माध्यम से मन्त्रों की उपासना पूजा की जाये तो विशेष फल दाई होती है।  

यन्त्र शिरोमणि श्री यन्त्र -लक्ष्मीनारायण के साथ 108 देवी-देवताओं का स्वरुप लिए यह यन्त्र सभी पांचों यंत्रों में सर्वशक्तिशाली है। इस यन्त्र में समग्र ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति तथा विकास क्रम दिखाए गए हंै। धन, संतान, वैवाहिक जीवन, शिक्षा व आध्यात्मिक उन्नति के लिए इस यन्त्र का पूजा सर्वमान्य है। 

कुबेर यंत्र -देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर की पूजा अर्चना, व्यक्ति को कुबेर के समान ही तपस्वी, साहसी, व संघर्शशील बनाती है।
 कनकधारा यंत्र  -वास्तुदोष, वायुदोष का नाश तथा  धन, समृद्धि व शांति के स्थायी निवास के लिए जिससे घर तथा कार्यस्थल का वातावरण दोष रहित व सुखमय हो। 
लक्ष्मी विनायक गणपति यन्त्र -उपरोक्त यंत्रों से मिली शक्ति के सही इस्तेमाल, उत्तम विचार व सही बुद्धि के लिए यह पूजा जाता है। आज के युग में वही व्यक्ति उन्नति कर सकता है जिसके पास स्पष्ट मौलिक विचार व उन्हें प्रस्तुत करने की क्षमता हो। 
व्यापार वृद्धि यन्त्र -ये महायंत्र यंत्रों को और प्रभावशाली बनाकर चैतरफा उन्नति प्रदाता है। 

दक्षिण वर्ती शंख - भगवती महालक्ष्मी और दक्षिणवर्ती शंख की उत्पत्ति तीर्थ राज सागर से हुई है, अतः ये लक्ष्मी के मित्र हंै; फिर भगवान विष्णु भी इसे अपने हाथ में धारण करते हंै, अतः महालक्ष्मी यंत्र के साथ पूजे जाने से विशेष फल दाई भी हंै। इससे पूजन को एक बना बनाया वातावरण मिलता है। 
कमलगट्टे की माला - कमल पुष्प जो लक्ष्मी जी का आसान भी है - के बीज से तैयार की गयी माला से लक्ष्मी जी का मंत्र जप किया जाता है। यह जप बहुत ही सरल व कार्य सिद्ध करने वाला होता है। इस जप में बार-बार लक्ष्मी जी का नाम पुकारा जाता है तथा अपनी इच्छा भी दोहराई जाती है। 
अष्टगध व इत्र-वातावरण को शुद्ध व पवित्र बनाने के लिए लक्ष्मी जी से सम्बंधित यन्त्र पर व अन्य देवी देवताओं के पूजा स्थल पर, उनके आदर सत्कार के लिए शुद्ध अष्टगंध, केसर, का तिलक लगा कर, धूप, इत्र का प्रयोग लक्ष्मी व अन्य शक्तियों को आमंत्रण देने में सहयोगी होता है।
 उपरोक्त सामग्री- महालक्ष्मी महायंत्र, दक्षिण वर्ती शंख, किसी विद्वान द्वारा पूर्णतया शुद्ध व अभिमंत्रित प्राणप्रतिष्ठा करवा लेनी चाहिए। बाजार से खरीद कर सीधे उन्हंे पूजा शामिल कर लेना फलदायी नहीं होगा। सभी अथवा कोई भी एक माध्यम अपनी पूजा में शामिल कर पूजा को प्रभाव शाली बनायें। 
अपने कार्य को सिद्ध करने वाले मंत्र ,पूजा का समय, पूजा की दिशा, दीपक का प्रयोग आदि के बारे में सम्पूर्ण विधि की जानकारी उपरोक्त सभ माध्यम प्राण प्रतिष्ठित व अभिमंत्रित रूप में परिषद कार्यालय में उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है।

महत्व- भाई दूज-यम द्वितीयाः 
इस दिन यमराज (मृत्यु के देवता) नरक पर पूरा नियंत्रण होता है। अतः इस दिन पर, यमराज का कर्मकांडों द्वारा पूजा आभार व्यक्त कर मट्टी के दीपक जलाकर शाम को स्वागत किया जाता है। बहनें अपने भाइयों के तिलक करके दीर्घायु की कामना करती हंै।



महत्व-गोवर्धन पूजा 
इस दिन भगवन कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। इस दिन ब्रह्माण्ड की यम त्रियंक तरंगो तथा पाताल के राजा बलि की नकारात्मक ऊर्जाओं को शांत करने के लिए राजा बाली को कर्मकांड पूजन द्वारा एक नैवेद्य की भेंट उसकी प्यास और भूख को संतुष्ट करने के लिए दी जाती है। यह पा कर राजा बाली खुश हो कर पूरे वर्ष के लिए अपने नियंत्रण की नकारात्मक ऊर्जा सहित पाताल में रहते हंै, और पृथ्वी पर जीवन के लिए किसी भी परेशानी का कारण नहीं बनते। इसी लिए इस दिन का महत्व है।