Saturday, June 20, 2015

महत्वः करवाचैथा का   
अखंड सौभाग्य के प्रतीक करवाचैथ व्रत को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विवाहित और सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग की दीर्घ आयु और दांपत्य जीवन में मंगल कामना के लिए बिना पानी तक पिए, व्रत रखती हंै, और शाम के समय चन्द्रमा को छलनी से देख उस अघ्र्य देनेे के बाद वे अपने पति के चरण को स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करके उनकेे हाथ से पानी ग्रहण कर इस उपवास को पूर्ण करती हंै।
करवाचैथ में सबसे अहम होता है करवा अर्थात मिट्टी का बर्तन जिसे प्रतीक चिन्ह के रूप में प्रयोग किया जाता है, क्योंकि मिट्टी के बर्तन को ठोकर लग जाए तो वह चकनाचूर हो जाता है, फिर जुड़ नहीं पाता। करवा की पूजा करके स्त्रियां करवा माता से प्रार्थना करती है कि उनका प्रेम अटूट हो। पति-पत्नी के बीच विश्वास का कच्चा धागा कमजोर न होने पाए। इस दिन से दीपावली का प्रारम्भ समझा जाता है।

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