Saturday, June 20, 2015

महत्व-दीपावली लक्ष्मी पूजन का  
इस दिन ही वामन अवतार में भगवान विष्णु ने राजा बालि की जेल से माता लक्ष्मी को छुड़ाया था, भगवान राम का रावण विजय के बाद अयोध्या लौटे, भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर का वध हुआ, स्वामी  
दयानंद सरस्वती व महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस, पांडवों का १२ वर्ष के वनवास के बाद प्रगट हुये, महान राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक, १५७७ में गोल्डन टेम्पल की नींव स्थापना हुई आदि। दीपावली की महान सर्वत्र महिमा का विशेष कारण है कि इस दिन -देवताओं और राक्षसों  के सम्मलित श्रम - समुन्द्र मंथन से महालक्ष्मी की प्राप्ति जो इस बात का ध्यान दिलाती है कि लक्ष्मी अर्थात धन -सम्पति कमजोर और शक्तिशाली, सभी के सम्मलित श्रम से प्राप्त होती है। लक्ष्मी जी को विष्णु को अर्पित किया गया, जो एक ऐसे मुखिया हंै जो सब का उचित रीति से पालन कर सकें। दूसरे पांच तत्व का समूह, श्री विष्णु, श्री इंद्र, श्री कुबेर, श्री गजेन्द्र और श्री लक्ष्मी - लक्ष्मी पंचयतन ब्रह्मांड में प्रवेश करता है। इन तत्वों का कार्य हैं-विष्णु से खुशी, संतुष्टि; इंद्र से संपन्नता; कुबेर सेे धन; गजेन्द्र से धन वहन तथा लक्ष्मी से दिव्य ऊर्जा शक्ति -जो उपरोक्त सभी गतिविधियों के लिए ऊर्जा प्रदान करती हैं। इस दिन नकारात्मक ऊर्जा के विनाश के लिये देवी लक्ष्मी का विध्वंसक (मारक) रूप वातावरण में नकारात्मक आवृत्तियों नष्ट कर देता है।  इस प्रकार पाॅच विग्रहों की पूजा से सुख, ऐश्वर्य, समृद्धि, स्थिरता और धन आदि तत्वों का आधार भवन (वास्तु) में बना रहता है।

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