Sunday, May 3, 2015

दान व साधना विधिया


 सूर्य को जल देने, तुलादान, छाया दान, औषधि स्नान,  मंत्र  साधना  संकल्प विधि 
सूर्य को जल देने की विधि- तांबे के लोटे में जल ले कर सर ढक कर लकड़ी पर  खडे होकर या चप्पल पहन कर(नंगे पैर जमीन पर न खड़े हों ) 5 मिनट तक-हृीं सूर्याय नमः  मंत्र का धीमी आवाज में जप करें तथा सर से दोंनांे हाथ ऊपर ले जा कर सूर्य की तरफ मुख कर के जल दें। जल देना शुरु करने से ले कर वापस लौटने तक सारे समय यही मंत्र मन में बोलते रहें। जल सूर्योदय के केवल 2.5 घंटे के भीतर ही देना चाहिये अन्यथा नहीं। सूर्य स्नान - जल देने के बाद सूर्य के सामने 10 से 30 मिनट तक बैठें/लेटें (कम से कम या बहुत झीना कपड़ा पहन कर) । 
तुलादान - अपने वजन के या उसके दसवें हिस्से के बराबर धातु पात्र, अनाज. गेहूँ, जौ, तिल वस्त्र और फलादि संकल्प पूर्वक आगेे लिखा मंत्र हे प्रभु  मैं............ दीर्घायु, आरोग्य व तेज प्राप्ति हेतु अपने जीवन व शरीर  में समाये हुए सभी नजर दोष व रोग निवारण हेतु तुलादान  करता हूँ । बोल कर, अपने ऊपर 21 बार सिर से पैर तक उतार कर दान दें।  
छाया पात्र दान - लोहे की कटोरी में तेल भर के उसमें सिक्का डाल कर हाथ में जल ले कर संकल्प कर निम्न मंत्र मैं............ दीर्घायु, आरोग्य व तेज प्राप्ति हेतु अपने  जीवन व शरीर  में समाये हुए सभी से नजर दोष, रोग, व कष्टों  निवारण हेतु छाया पात्र दान करता हूँ  तथा मेरे मुख देखने से मेरे सभी नजर दोष, रोग, व कष्ट  व पाप इस छाया द्वारा हर लिए जाएँ तथा मेरी आयु ,बल, तेज व शांति की  वृ(ि हो बोल कर जल जमीन पर छोड़ दें। फिर  उसमें अपनी छाया को देखें तेल को बिना धार टूटे पीपल पर चढ़ायें।
औषधि स्नान विधि -सामग्री को पहले दिन भिगोयें तथा अगलेे दिन सुबह सब को मिला पीस कर उबटन की तरह 15 मिनट से 1 घंटे तक लगाये रखे या छान कर जल में मिलाकर स्नान करें। इस दौरान मंत्र का जाप करते रहें। (साबुन का प्रयोग न करंे )
पंचोपचार मानस पूजन -दीप जला कर दीपज्योर्तिनमोस्तुते’ कह कर, पुष्प अर्पित, तिलक लगा कर -¬ केशवाय नमः ¬ नारायणाय नमः  ¬ माधवाय नमः। ¬ )षिकेेशयाय नमः ।  मंत्र से आचमन कर हाथ धोना, ¬ अपवित्रः पवित्रो ......  ¬ पुण्डरीकाक्षः पुनातु। से  अपने ऊपर जल छिड़क मार्जन करना,  प्रभो! मैं पृथ्वीरूपी गन्ध, चन्दन, आकाश रूप पुष्प, वायुदेव के रूप में धूप, अग्निदेव के रूप में दीपक, व अमृत के समान नैवेद्य आपको अर्पित,प्रदान व निवेदन करता हूँ प्रभो! मैं सर्वात्मा के रूप में संसार के सभी उपचारों को आपके चरणों में समर्पित करता हूँ।


संकल्प विधिः-पंचोपचार  पूजन कर दाहिने हाथ में जल, पुष्प व चावल ले कर इस प्रकार संकल्प करें -‘हे  देवी या देवता का नाम अहम अपना नाम, पिता/पति का नाम, गोत्र, निवास स्थान, संवत्सर,  मासे  पक्षे, तिथि वार तथा ज्ञात अज्ञात सर्व पाप दोष परिहार्थं आयु आरोग्य ऐश्वर्य वृ(ि अर्थम तथा मनोकामना बोलें, यह साधना करिष्यामि कह कर जलाक्षत जमीन पर छोड़ दें। यह साधना किसी और के लिए करनी हो तो उसके नाम से संकल्प करें तथा गणेशजी का ध्यान करके मंत्र का पाठ करें।

No comments: