Friday, June 12, 2015

                            विधि     नवरात्र पूजन
नवशक्तियों से सयुंक्त महाशक्ति दुर्गा, आद्या महालक्ष्मी, दशमहाविद्या, नवरात्रों में नौ अवतारों के रूप में अवतरित होती है। अत एक एक तिथि को एक एक शक्ति का पूजन भक्तों के दुःख दूर करने व मनोकामना सिद्धि का एक विशेष वरदायक अवसर होता है। जौ बोना, मंगल कलश, अखण्डज्योत स्थापना, दुर्गापाठ, हवन द्वरा भोग, कन्या पूजन इसके मुख्य अंग हैं ।
उŸाराभिमुख आसन पर बैठ कर कपड़े को लकड़ी के पटडे पर बिछा कर उसे नीचे की तरफ से चारों ओर से ठीक अपनी ऊँचाई के बराबर लाल मौली से बाॅध कर तीन गाॅठ लगा कर वस्त्र पर स्वयं का नाम कुमकुम से लिखें। एक थाली में गणपति, नवग्रह, षोडशमातृकाओं की सरंचना चावल से कर उसके ऊपर रखें। ईशान में भूमि पर स्वस्तिक चिन्ह बनाकर शुद्ध मिट्टी में गाय का गोबर मिला कर जौ बोये फिर पानी से उसे तर रखें। मिट्टी या ताम्बे के कलश को जौं के बीच में रखें तथा कलश के ऊपर पांच पल्लव लगा कर कच्चा नारियल छील कर चोटी वाली जटा रहने दें रखें। पटरे के ऊपर दो पानी के लोटे रखें एक पानी के लोटे पर पांच पल्लव लगाकर कांसे या मिट्टी के पात्र में घी का दिया जलाएं दूसरे लोटे पर भी कलश की तरह ही नारियल रखें माँ भगवती को नारियल अति प्रिय है और कभी कभी पूजन के दौरान वह स्वतः फट भी जाता है इसे पूजा से मिलने वाले फल का शुभ संकेत माना जाता है। फटे नारियल को प्रशाद रूप में ग्रहण कर उसकी जगह दूसरा नारियल रख देना चाहिए।कलश के नीचे की ओर तेल की ज्योति जलाएं, तेल पाप का शमन करता है और घी आनंद बढ़ाता है। दोनों ही ज्योतियाँं लगातार जलनी चाहियें और नौ लौंग के जोड़े भगवती को अर्पण कर देने चाहियें ताकि भगवती दुर्गा उपस्थित रहें और 1 कटोरी जल में 2 इलायची व 2 किशमिश डाल कर पंचोपचार पूजा कर जल सहित संकल्प करें कि माँ भगवती मुझे तीनांे बलों की प्राप्ति हो तथां मार्कंडेय ऋषि कृत दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याओं  कवच और रहस्यों के साथ या मंत्रो का करें ।
पाठ के पश्चात 1 इलायची,। किशमिश प्रसाद के रूप में सुबह शाम ले  2 लौंग सिर से 3 बार उतार कर ;ंदजपबसवबाूपेमद्ध कपूर में जलायें लें। तथा कटोरी का जल माता के होठों से लगा कर तथा चरणों से छुआ कर पीलें। पाठ पूर्ण होने पर 108 कमलगट्टे, सफेद तिल,  घी,  इलायची,  जौ, एवं  9 लौंग के जोडों व खीर की आहुतियों से हवन करें। अष्टमी या नवमी वाले दिन दो से दस वर्ष की आयु वाली नौ कन्याओं के पैर धो कर एक बटुक के साथ पूजन कर, हलवा, पूरी, चने का भोजन करा कर कुमकुम की बिंदी लगा कर दक्षिणा दे कर विदा करें ।

पांच नियम - व्रत. ब्रह्मचर्य पालन,. पृथ्वी शयन, केश न कटवाना, सत्य वचन।  

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